कोरोना की सूनामी: प्रधानमंत्री की ऑक्सीजन और गृहमंत्री का शुक्रिया

कोरोना की सूनामी: प्रधानमंत्री की ऑक्सीजन और गृहमंत्री का शुक्रिया

डाक्टर सलीम खान

ऑक्सीजन की कमी से जब कौम का दम घुटने लगा बल्कि साँसें उखड़ने लगीं तो प्रधानमंत्री को अपने पीएम केयर फंड का खयाल आया। इस माले मुफ्त पर दिले बेरहम ने 551 ऑक्सीजन प्लांट लगाने का फैसला किया। इस संख्या को देखो तो ऐसा लगता है किसी शादी में शगुन दिया जा रहा है। लाशों को सड़कों पर जलता देखकर भी शर्म न आए तो ये बेहिसी और ड्रामाबाजी की इंतिहा है। इस पर अमित शाह ने चापलूसी को बाम उरूज पर पहुंचाते हुए शुक्रिया अदा कर दिया। क्या इसी लिए उन्हें गृहमंत्रालय सौंपा गया है कि दिन रात नमो नमो का भजन करते रहें। शाह के इस ट्वीट पर लोगों ने ऐसी खबर ली कि वो दो दिनों तक ट्वीटर का मुँह ना देखें। एक ने तो वीडीयो डाल कर कहा चीन से फौज लड़ेगी। पाकिस्तान से मीडीया लड़ेगा कोरोना से जनता लड़ेगी मगर बी जे पी केवल चुनाव लड़ेगी। विकास बोल कर शमशान में धकेल दिया।
इस बाबत जसविंदर कौर नामी सारिफ ने याद दिलाया कि हाल में प्रधानमंत्री ने बंगाल में18 आसाम और तमिलनाडू में 7-7, केरल में 5 रैलियां कीं, लेकिन किसी राज्य के अस्पताल में नहीं गए? वो बेचारी नहीं जानती कि मोदी जी अपना कीमती समय बर्बाद नहीं करते। अस्पताल में तड़पने वाला मरीज ना ख़ुद वोट दे सकता है और ना उस के परिजन वोट की कतार में खड़े हो सकते हैं इसलिए उनके पास जाने से क्या फायदा? हाँ मोदी जी पश्चिम बंगाल की सरहद के पार बंगला देश के मंदिरों तक पहुंच गए और इस का खूब प्रचार किया क्यों कि वही भक्त तो वोटों की बरसात करते हैं। अबदुल्लाह नामी सारिफ ने तो लिखा वो तो खैर से पिछली सरकारें अस्पताल बना गईं, वर्ना कोरोना के मरीजों को शैचालय में इलाज कराना पड़ता। जानेमाने पत्रकार संदीप चैधरी ने अलग से एक ट्वीट में लिखा जिस छात्रा ने अपना गुल्लक तोड़ कर पीएम केयर में पाँच हजार रुपया चंदा दिया था वही ऑक्सीजन के बगैर फौत हो गई। उस के जवाब में संजीव ने लिखा तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें मौत दूँगा सवाल ये है कि क्या प्रधानमंत्री ये मामूली फैसला करने के लिए इस भयानक खबर के मुंतजिर थे।
देश कोरोना की दूसरी लहर के लपेट में है। इस पर सब सहमत हैं कि इस की बुनियादी वजह जनता की लापरवाई है। लोग जब अपने इस दुश्मन से पूरी तरह गाफिल हो गए तो वो अपने शिकार पर टूट पड़ा। अब सवाल ये पैदा होता है कि ये बेफिकरी कहाँ से आई? किसने पूरी कौम को एक गलत आत्मविश्वास का शिकार करके कोरोना का शिकार बना दिया? बेशक इस में मीडिया का बड़ा हिस्सा है मगर मीडीया के जरीया राय आम्मा को हमवार कर लेना हर किसी के बस की बात नहीं है। इसलिए ये सवाल जन्म लेता है कि वो अजीम हस्ती कौन सी है जिसने मीडिया के जरीया ये कारनामा अंजाम दे दिया कि लोग जानते बूझते आग के दरिया में कूद गए? इस सवाल का जवाब पाने के लिए एक तक़रीर को याद कीजीए। 28 जनवरी 2021 को दाओस मैं अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडीयो कान्फ्रेंसिंग के जरीये खिताब किया। प्रधानमंत्री की तक़रीर में वो वायरस मौजूद था जिसने पूरी कौम में कोरोना की बाबत गफलत का बीज बोया। इस के बाद वैक्सीन को बरामद करके उस फसल की सिंचाई की गई। चुनावी मुहिम में जोर व शोर से हिस्सा लेकर फसल को काटा गया और अब इस जहरीले अनाज ने पूरी कौम को बीमार दिया।
प्रधानमंत्री ने मजकूरा तक़रीर में सीना ठोंक कर ऐलान किया था कि आज मैं आप सभी के सामने 130 करोड़ से अधिक भारतीयों की ओर से दुनिया के लिए यक़ीन और उम्मीद का पैगाम लेकर आया हूँ। किसे खबर थी कि तीन माह के अंदर यह यक़ीन बे-यक़ीनी में बदल जाएगा।
प्रधानमंत्री ने दरअसल अपने दावों में जल्दी कर दी और इस की कीमत कौम के गरीब लोगों को चुकानी पड़ी। जिन लोगों ने अच्छे दिनों की उम्मीद में मोदी के सर पर सत्ता का ताज रखा था और वे जो घर में घुस कर मारने जैसे जुमलों पर बगलें बजा रहे थे कोरोना ने ख़ुद उनके घर में घुस कर मार दिया। हर हर मोदी घर-घर मोदी के नारे ने हर घर-घर के अंदर कोरोना पहुंचा दिया। प्रधानमंत्री के मुताबिक वे जो किसी ने 70-80 मिलियन भारतीयों के कोरोना से प्रभावित होने की बात कही थी वो सच साबित चुकी है मगर इन आंकड़ों को बीजेपी राज्य सरकारें छुपा रही हैं।
ये कोई खयाली आशंका नहीं है इस की भयानक मिसालें मोदी और शाह के गुजरात से आ रही हैं। 12 अप्रैल को जबकि हालात इतने संगीन भी नहीं हुए थे उसी समय से धोखा धड़ी का खेल शुरू कर दिया गया। अहमदाबाद में सरकार ने ऐलान किया कि कुल 20 लोग कोवीड से मारे गए जबकि केवल 17 घंटों के अंदर एक कोविड अस्पताल से संदेश अख़बार ने 63 लाशों की गिनती की। अगर पूरे 24 घंटों के सभी अस्पतालों से आंकड़ें जमा किए जाते तो ना जाने कितने होते। अंबानी के जामनगर में गुरु गोबिंद अस्पताल से अप्रैल 10 और 11 को 100 लाशों को निकलते देखा गया जबकि सरकार के बयान के मुताबिक कोई मौत नहीं हुई थी। सूरत से उन्हीं तारीख़ों में 22 मौतें प्रतिदिन का सरकारी आंकड़ा था जबकि शहर में एक दिन के अंदर 700 लोगों के अंतिम संस्कार की गुंजाइश है और वहां पर आग ठंडी ही नहीं हो पाई यहां तक कि भट्टी की मुसलसल गर्मी से लोहे की सलाख़ें तक पिघल गईं। बदकिस्मती से इस धोखाधड़ी का शिकार वे गुजराती हुए जिन्हों ने दो बार चुनाव में बीजेपी को शत प्रतिशत सीटों पर कामयाबी से नवाजा था।
प्रधानमंत्री ने कहा था, आज भारत दुनिया के उन देशों में से एक हो गया है जो अपने ज्यादा से ज्यादा नागरिकों की जिंदगी बचाने में कामयाब रहा है और जहां आज कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से घट रही है। अब ये दावा उलट गया है। भारत कोरोना से मौतें में हर-रोज एक नया रिकार्ड क़ायम कर रहा है। वैक्सीन की बाबत प्रधानमंत्री ने कहा था अभी तो मात्र दो मेड इन इंडिया कोरोना टीके दुनिया में आए हैं, आने वाले समय में कई और टीके भारत से बन कर आने वाले हैं। इस की हकीकत ये है कि टीके भारत में बनते जरूर थे मगर इस में इस्तिमाल होने वाली सामगी अमरीका से बरामद की जाती थी। जो बाईडन के प्रशासन ने अमरीका फरस्ट का नारा लगा कर अब उस की खेप रोक दी है इसलिए इन दो टीकों की पैदावार भी ख़तरे में पड़ गई है। पहले विदेशी कंपनियों को पेशगी आर्डर तक नहीं किया गया और राहुल व मनमोहन ने इस का मश्वरा दिया तो मजाक उड़ाया गया। अब जब उनसे संपर्क किया जा रहा है तो तैयार नहीं हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान बंगाल विजय करने पर अपनी सारी ऊर्जा लगाने के अलावा 12 मार्च को आजादी के अमृत महोत्सव यानी 75 वीं सालगिरह का जश्न मनाने की भी तैयारी शुरू कर दी थी। इस मौका पर अहमदाबाद में तक़रीर करते हुए मोदी जी ने कहा था आज दांडी यात्रा की साल गिरह के मौका पर हम बापू के इस कर्मस्थल पर तारीख़ बनते हुए भी देख रहे हैं और तारीख़ का हिस्सा भी बन रहे हैं। आज आजादी के अमृत महोत्सव का आगाज हो रहा है, इस का पहला दिन है। अमृत महोत्सव 15 अगस्त 2022 से 75 हफ्ते पहले, आज से शुरू हो रहा है, जो 15 अगस्त 2023 तक जारी रहेगा। लेकिन बीच में कोरोना की तबाहकारी ने रंग में भंग डाल दिया। सत्ता के नशे में मस्त प्रधानमंत्री भूल गए कि कोरोना के प्रतिदिन मामले जो 1 फरवरी को 8 हजार से कुछ ज्यादा थे अब 3 गुना बढ़कर 25 हजार प्रतिदिन पर पहुंच गए हैं। उन्हें आजादी का जश्न मनाने के बजाय कोरोना से मुकाबले की बाबत फिक्रमंद होना चाहिए लेकिन जिसका उद्देश्य उस जश्न की आड़ में राज्य और कौमी चुनाव जीतना हो वो भला कोरोना पर कैसे ध्यान दे सकता है?
सरकार से परेशान और मायूस हो कर अब लोग अदालतों से रुजू करने लगे हैं। इस मामले में सबसे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी जिम्मेदारी को महसूस करते हुए ख़स्ता-हाल शहरों में लॉक डाउन लगाने के अहकामात दिए तो उतर प्रदेश की सरफिरी सरकार ने उसे अपनी अना का मसला बनाकर सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज कर दिया। कोरोना के हवाले से बीजेपी की संवेदनहीनता का ये आलम है कि केंद्र सरकार ने अपने मुख्यमंत्री को समझाने के बजाय उस की पुश्तपनाही करने लिए अपना वकील भेज दिया और मामला खटाई में पड़ गया। इस के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी प्रधानमंत्री की तरह कोरोना की दूसरी लहर को सूनामी बताया। फर्क ये है कि प्रधानमंत्री के मुताबिक वो जा चुकी है और अदालत का कहना है कि वो आ रही है। अदालत ने दो टूक अंदाज में धमकी दी है कि अगर केंद्र, राज्य या स्थानीय प्रशासन का कोई अफ्सर ऑक्सीजन की स्पलाई में मुश्किलात पैदा करेगा तो हम इस को फांसी पर लटका देंगे। किसी भी बावकार सरकार के लिए इस से सख़्त सरजनिश मुम्किन नहीं है लेकिन मोटी खाल वाली सरकार पर इस का कोई असर दिखाई नहीं देता।
इस मामले में अदालत के अंदर दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार आमने सामने थे। समाअत के दौरान जब केजरीवाल के वकील राहुल महर ने कहा कि केंद्र ऑक्सीजन कोटा निर्धारण की हिदायात नहीं मान रहा है तो मोदी के वकील तुषार मेहता ने डाँट कर जवाब दिया, मुझे मेरी जिम्मेदारी पता है। मुझे बहुत कुछ मालूम है लेकिन में कुछ कह नहीं रहा हूँ। आप किसी शिकायती बच्चे की तरह सुलूक करना बंद करें। ये बिलावजह की धमकी थी क्योंकि मुकद्दमा वाले दिन ऑक्सीजन संकट के कारण रोहिणी के जयपूर गोल्डन अस्पताल में 20 मरीजों की मौत हो चुकी थी। अस्पताल प्रशासन ने बताया था कि उन्हें ऑक्सीजन का कोटा शाम के बजाय आधी रात में मिला इसलिए मरीजों को नहीं बचाया जा सका। दिल्ली के बत्रा अस्पताल ने कोर्ट में फरियाद की थी कि हर दिन 8 हजार लीटर ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन वो किसी तरह 6 हजार लीटर में काम चला रहे हैं। अस्पताल ने अदालत को बताया कि उस दिन उन्हें केवल 500 लीटर ऑक्सीजन मिली। आप का वकील अगर शिकायती बच्चा है तो अस्पताल के ये जिम्मादारान क्या हैं?
2019 मैं अगर प्रधानमंत्री चुनाव हार जाते तो अब बीजेपी वाले चिल्ला-चिल्ला कर कहते कि मोदी जी के डर से चीन दुबक के बैठा हुआ था। वो अगर प्रधानमंत्री होते तो लाल आँखें कर दिखाते और चीनी डरैगन दुम दबा कर भाग जाता। कोरोना से निमटना तो उनके बाएं हाथ का खेल होता। वो ऐसी चाय बनाकर पिलाते कि कोरोना के मरीज बगैर वैक्सीन के अच्छे हो जाते। अमरीका की हिम्मत ना होती कि भारत के लिए वैक्सीन की सामग्री भेजना बंद करे बल्कि कोरोना की क्या मजाल थी कि वो भारत माता की पावन धरती पर कदम रखता। ये तो बाद वालों की नहूसत से कौम इतनी बड़ी मुसीबत में गिरफ्तार हो गई और ऑक्सीजन की कमी हो गई। मोदी जी तो विंड ट्रबाइन में से पानी के साथ ऑक्सीजन भी अलग कर लेते जैसा कि उन्होंने डेनमार्क की कंपनी वेस्टॉस के सीईओ से बातचीत में बताया था। अफसोस कि मोदी जी हारने के बजाय जीत गए और उनके भरम का गुब्बारा फूट गया। कोरोना ने ट्रम्प को तो सत्ता से महरूम कर के अमरीकियों का भला कर दिया लेकिन भारतीय इस मामले में वैसे ख़ुशकिस्मत नहीं रहे।

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