कोरोना से मज़बूती से जंग लड़ने को ग़रीबो की मदद करे सरकार
(शिब्ली रामपुरी)
कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी ने भी कोरोना दौर में गरीबों की मदद करने की सरकार से मांग की है. अभी कुछ दिन पहले कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा था जिसमें उन्होंने कहा था कि जो लोग रोजाना कमाते खाते हैं और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर है ऐसे समय में सरकार को चाहिए कि उनके खाते में 6 हज़ार रूपये की धनराशि हर महीने पहुंचाई जाए. अब राहुल गांधी ने प्रवासी मजदूरों का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को जिम्मेदारी याद दिलाई और कहा कि प्रवासी मजदूरों के खाते में सरकार की ओर से धनराशि दी जानी चाहिए. काबिले गौर हो कि वर्तमान समय में कोरोना किस तरह से क़हर बरपा रहा है और लोग जहां तेजी के साथ इसकी चपेट में आ रहे हैं वहीं पर कई जगह से ऐसी दुखदाई और अफ़सोसनाक खबरें भी सामने आ रही है कि लोगों को इलाज कराने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो वही गरीब लोगों के लिए रोजी-रोटी का संकट भी पैदा हो चुका है उनके सामने दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त करना भी किसी तरह के चुनौती के पहाड़ से कम नहीं है. कोरोना के क़हर में लोगों को भारी असुविधाओ से दो चार होना पड़ रहा है इतना ही नहीं काफी लोगों की जाने तक जा चुकी हैं और प्रवासी मजदूरों को यह चिंता सता रही है कि यदि कोरोना का क़हर इसी तरह से जारी रहा तो फिर उनका क्या होगा. दिल्ली की अगर हम बात करें तो दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह अपील की थी कि कोई कहीं मत जाए लेकिन उसके बावजूद भी सैकड़ों प्रवासी मजदूरों की भीड़ देखने को मिल रही है जो बस अड्डों पर जमा हो रहे हैं और किसी भी तरह से अपने घर जाना चाहते हैं. क्योंकि इन मजदूरों का कहना है कि उन्होंने पूर्व में कोरोना की लहर का वह दौर देखा है कि जिसमें उनको मजबूरी में अपने घर को पैदल ही लौटना पड़ा था.उस समय ऐसे काफ़ी वीडियो फोटो और खबरें सामने आई थी कि जो मजदूरों की दुर्दशा को बयान कर रही थीं और हर कोई यही कह रहा था कि आखिर यह सब क्या हो रहा है. ऐसे में दिल्ली या अन्य जगह काम करने वाले प्रवासी मजदूरों का चिंतित होना लाजमी है. उनकी सहायता सरकार ही कर सकती है और सरकार को इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाने की जरूरत है क्योंकि यह बहुत नाजुक समय है ऐसे में गरीब जनता को सरकार से ही आशा है कि वह उनकी फरियाद सुनेगी और उनकी जो स्थिति है जो बहुत कमजोर हो चुकी है उसको उबारने में उनकी सहायता करेगी. जैसे जैसे देश में कोरोना का क़हर तेज़ हो रहा है वैसे-वैसे सख़्ती और पाबंदियां भी लगाई जा रही हैं कहीं पर हफ्ते में 6 दिन का लॉकडाउन है तो कहीं पर 2 दिन की घोषणा की गई है. हाल ही में योगी सरकार ने यूपी में 2 दिन के वीकली लॉकडाउन की घोषणा की है. पहले सिर्फ रविवार को कोरोना क़र्फ्यू लगाया गया था लेकिन अब शनिवार और रविवार को कोरोना क़र्फ्यू रहेगा और इस दौरान काफी सख्ती बरती जाएगी जिन लोगों को इजाजत होगी वह लोग ही कहीं आ जा सकते हैं और अपने जरूरी कामों को निपटा सकते हैं. कोरोना से हर कोई जंग लड़ना चाहता है और चाहता है कि वह पूरी मजबूती के साथ कोरोना से जंग लड़े लेकिन यहां बड़ा सवाल यह है कि भूख से आखिर कैसे जंग लड़ी जा सकती है. एक मजदूर का कहना था कि हम इस बात को लेकर फिक्रमंद है कि यदि कोरोना के कहर के साथ-साथ सरकार ने और ज्यादा सख्त नियम अपनाए तो फिर उनका क्या होगा. पहले से ही वह बहुत गरीबी में जीवन गुजर बसर कर रहे हैं यदि सख्ती और पाबंदी वाले नियम अपनाए गए तो फिर उनके सामने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी किसी तरह की चुनौतियों के पहाड़ से कम नहीं होगा ऐसे में सरकार को उनकी समस्याओं पर गंभीरता से ध्यान देकर सख्त कदम उठाने चाहिए. कोरोना से बचाव हेतु सख्त से सख्त नियम अपनाए जाने चाहिए इस पर किसी को कोई एतराज नहीं है लेकिन गरीब इंसान यही सोच कर परेशान है कि वह आखिर अपने परिवार का गुजर-बसर कैसे करेगा क्योंकि जब वह काम धंधे पर नहीं जा सकेगा तो उसके बीवी बच्चे आखिर रोटी कैसे खा पाएंगे. यहां यह बात भी काबिले गौर है कि कुछ लोग खास तौर पर कुछ दुकानदार लॉकडाउन में मुनाफा कमाने का पूरा प्रयास करते हैं और वह खाने पीने की चीजों पर रेट बढ़ाकर अपनी जेबें गर्म करते हैं तो सरकार को चाहिए कि वह ऐसे लोगों की जांच कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई करे.
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