कोरोना का क़हर और इंसानियत

कोरोना का क़हर और इंसानियत

(शिब्ली रामपुरी)

कोरोना वर्तमान समय में किस तेजी के साथ लोगों पर अपना कहर बरपा कर रहा है और ऐसे में जहां कुछ लोग इंसानियत के नाते दूसरे की सहायता कर रहे हैं वहीं कुछ ऐसे मामले भी सामने आ रहे हैं जो इंसानियत को शर्मसार करने वाले हैं. ऐसे समय में कि जब एक दूसरे की मदद करनी चाहिए कुछ लोग इंसानियत को ताक पर रखने में कोई कमी बाक़ी नहीं रख रहे हैं. गुजरात से एक ऐसा ही मामला सामने आया जब कोरोना की चपेट में आए एक व्यक्ति को प्राइवेट अस्पताल में दाखिल कराया. उसके बाद वहां पर उनकी मौत हो गई तो अस्पताल ने कहा कि पहले पूरा बिल दीजिए उसके बाद ही आप को डेडबॉडी दी जाएगी. घरवालों का आरोप है कि उनके पास उस समय पैसे नहीं थे सिर्फ एक कार थी तो अस्पताल वालों ने कार गिरवी रखकर डेड बॉडी परिजनों को दी. इसके अलावा कुछ ऐसे मामले सामने आए थे जब किसी व्यक्ति की कोरोना से मौत हो गई तो उसके सगे बेटे ने ही उसका शव ले जाने से इंकार कर दिया और फिर किसी और युवक ने इंसानियत का परिचय देते हुए इस कलयुगी बेटे के पिता के शव को श्मशान में ले जाकर अंतिम संस्कार किया. यह सही है कि कोरोना का क़हर जारी है और एक के बाद एक लोग इसकी चपेट में आ रहे है. ऐसे में इंसानियत का भी ध्यान रखा जाना चाहिए मगर अफसोस कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इंसानियत को शर्मसार करने वाले कार्य कर रहे हैं. यह बेहद ही अफसोसनाक है. एक मामले में तो एक व्यक्ति की कोरोना से मृत्यु हुई तो उसके शव को सब्जी के ठेले से श्मशान घाट तक ले जाया गया. कई जगह से ऐसी खबरें भी सामने आई है कि वहां पर अस्पताल प्रबंधक द्वारा इलाज करने से मना कर दिया गया. इसके अलावा अस्पताल में वेंटिलेटर की कमी पड़ रही है तो कहीं बेड की कमी भी सामने आ रही है. हिंदी साहित्य में बड़ा नाम डॉ कुंवर बेचैन जब कोरोना की चपेट में आए तो उनको एक अस्पताल में वेंटिलेटर देने से मना कर दिया तब युवा कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट करके मंत्री डॉ महेश शर्मा से मदद मांगी फिर उन्होंने कुमार विश्वास को यकीन दिलाया और डॉ कुंवर बेचैन को एक अस्पताल में भर्ती कराया गया और उनके लिए वेंटिलेटर की व्यवस्था की गई. यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो लोगों के जो विचार थे वह काफी सोचने और गंभीरता से ध्यान देने योग्य थे काफी लोगों ने यह बात लिख कर के जब इतनी मशहूर हस्ती को इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो एक आम गरीब को किस तरह की दिक्कतें पेश आ रही होंगी इसका अंदाजा लगाना भी बेहद कठिन है. लोगों के दिलों दिमाग में जो बात है वह बिल्कुल सही है कि जब इतने बड़े नामवर लोगों को अपने इलाज कराने में इतनी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं कि उनको वेंटिलेटर तक देने से इनकार कर दिया जाता है तो ऐसे में गरीब मजदूर आदमी को यदि कोरोना अपनी चपेट में लेता है तो फिर उसके इलाज की व्यवस्था क्या रहेगी यह काफी कुछ सोचने पर मजबूर करता है. ऐसे समय में सरकार के साथ-साथ सभी सामाजिक संगठनों को आगे आने की जरूरत है और लोगों की जिस तरह भी हो उस तरह से मदद की जानी चाहिए. ऐसा नहीं है कि जो कोरोना से पीड़ित है या किसी भी तरह से कोरोनाकी चपेट में है वही परेशान हैं बल्कि एक बड़ी आबादी ऐसी भी है जो बेहद गरीब है उसको भी भारी परेशानियों का सामना कोरोना काल में करने को मजबूर होना पड़ रहा है ऐसे लोगों की सहायता भी की जानी चाहिए. सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि वह गरीब लोगों की समस्याओं की ओर गंभीरता से ध्यान देते हुए आर्थिक तौर पर उनकी मदद करे. हाल ही में कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर यह मांग की थी कि जो गरीब लोग हैं रोजाना कमाते खाते हैं उनके खाते में 6 हज़ार रूपये महीना भेजा जाए ताकि उनको आर्थिक परेशानियों का सामना ना करना पड़े.

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