चीन की ज़मीनी और ख़लाई हमलों में फ़ौक़ियत
डाक्टर सलीम खान
अमरीकी अखबार न्यूयार्क टाईम्स के मुताबिक चीन के रेड इकोनामी हैकर्ज ग्रुप ने गुजिश्ता साल 12 अक्तूबर को मुंबई में बिजली फराहमी के निजाम पर साइबर हमला किया था। उस के बाद शहर में लग भग 10-12 घंटों के लिए बिजली की फराहमी मुअत्तल हो गई थी। सुबह दस बजे के आस-पास बिजली चली गई, यहां तक कि मुंबई की लाइफलाइन समझी जाने वाली लोकल ट्रेन भी दो घंटे के लिए बंद हो गई ताहम इस हमले पर मुकम्मल तौर पर काबू पाने में10-12 घंटे लग गए । उसे दहाई की बदतरीन बिजली नाकामी करार दिया गया । उस वक्त मुंबई म्यूनसिंपल कारपोरेशन के कमिश्नर एस चहल ने शहर के सभी अस्पतालों को हिदायत दे दी थी कि वो अपने आईसीयू और दीगर जगहों पर बिजली के जनरेटर के ज़रिये स्पलाई जारी रखने के लिए कम अज कम 8 घंटे के हिसाब का डीजल जमा कर लें।
मर्कजी हुकूमत ने इस इन्किशाफ के बाद भी बिलकुल गलवान वादी वाला रवैय्या दोहरा दिया यानी शुतुरमुर्ग की मानिंद रेत में मुँह छुपा कर इनकार कर दिया। वजीर आजम ने जिस तरह पहले ऐलान कर दिया था कि कोई नहीं घुसा उसी तरह वजीरे तवानाई आर के सिंह ने फरमान जारी कर दिया कि कोई हमला हुआ ही नहीं। अपने मौकिफ की हिमायत में उन्होंने पहली दलील यह दी कि तफतीश करने वाली पहली टीम ने बिजली फेल होने की वजह इन्सानी भूल चूक बताई थी। दूसरी टीम ने कहा कि हमला तो हुआ मगर उस का मुंबई बिजली की रुकावट से कोई ताल्लुक नहीं था । इस बात को अगर दरुस्त मान लिया जाये तब भी उन्हें ये बताना होगा कि सरकार ने इस हमले को बैरूनी जराय के इन्किशाफ़ तक क्यों छुपाया नीज जिस तरह यूरी और पुलवामा का मुंहतोड़ जवाब दिया गया इसी तरह उस का रद्दे अमल फिर से क्यों सामने नहीं आया ? हालाँकि साइबर हमले का नुकसान दहशत गरदाना हमले से शदीद तर हो सकता है। वो आँखों में आँखें डाल कर बात करने वाले अचानक कहाँ गायब हो गए?
वजीरे तवानाई ने दूसरी दलील ये पेश की कि उनके पास इस हमले के चीन या पाकिस्तान की जानिब से होने का कोई सबूत नहीं हैं। पाँच मिनट में बड़े बड़े दहशत गरदाना हमले के मास्टरमाइंड की जन्म कुंडली निकाल कर मीडिया के हवाले करने वाली इंटेलीजेन्स को 5 माह तक क्यों साँप सूँघा रहा । वजीर मौसूफ के मुताबिक कुछ लोग ये इल्जाम लगा रहे हैं कि वो चीनी हमला था मगर चूँकि उनके पास कोई सबूत नहीं है इस लिए चीन उस का इनकार कर देगा। वैसे तो पाकिस्तान भी दहशत गरदाना हमले से इनकार करता रहा है लेकिन हकूमते हिन्द उस को मुस्तरद कर के पाकिस्तान की सरजमीन को दहश्तगर्दी के लिए इस्तिमाल किए जाने पर अजखुद सबक सिखाने की बात करती रही है । ऐसे में साइबर हमला के लिए इस्तिमाल होने वाली चीनी सरवर की बुनियाद चीन के खिलाफ करार वाकई कार्रवाई करने की जुर्रत का मुजाहिरा क्यों नहीं किया जाता? दुनिया के सबसे ज्यादा कम्पयूटर के माहिरीन अगर हिन्दुस्तान में हैं तो उनकी खिदमात क्यों नहीं हासिल की जातीं? क्या इस में खौफ महसूस होता है।
वजीर मौसूफ ने ये तो तस्लीम किया कि महाराष्ट्र के वजीरे दाखिला ने उन्हें मुंबई में ैब्।क्। सिस्टम पर साइबर हमले की जानकारी दी मगर लोड डिसपैच सेंटर तक वो मालोईर वाइरस नहीं पहुंच पाए। इस के बरअक्स महाराष्ट्र साइबर सेल की इब्तिदाई तहकीकात में ये बात सामने आई है कि बिजली की मुअत्तली के पीछे मालवीयर अटैक हो सकता है। अमरीका की साइबर सिक्योरिटी कंपनी मुंबई बिजली के लिए रेड इको की तफतीश में मसरूफ है हालाँकि ये काम हिन्दुस्तान की तफतीशी एजेंसी के करने का है मगर वो कुंभकर्ण की नींद सो रही है। महाराष्ट्र के वजीरे तवानाई नितिन रावत ने इस वाकिया की तहकीकात के लिए तीन अरकान की जो कमेटी तशकील दी थी, उस की रिपोर्ट तसदीक करती है कि अक्तूबर 2020 में पूरी मुंबई और अतराफ के इलाकों की बिजली गुल हो जाने की वजह तकनीकी खराबी नहीं बल्कि चीनी साइबर हमला था। रियासती वजीर ने अमरीकी कंपनी की रिपोर्ट के मंजरे आम पर आने के बाद बताया कि हमने साइबर सेल में शिकायत की है और उन की रिपोर्ट का इंतिजार है मगर जो इब्तिदाई मालूमात के मुताबिक ये यकीनी तौर पर साइबर हमला और सबोताज की कोशिश थी।
रेकॉर्डेड फ्यूचर्स नामी कंपनी ने दावा किया है कि मुल्क के 12 सरकारी इदारों, बिजली स्पलाई के निजाम और दीगर मराकज को चीन की जानिब से 2020 में साइबर हमले का निशाना बनाया गया है। माहिरीन के मुताबिक एक ऐसे वक्त में जबकि लद्दाख में हिन्दुस्तानी और चीनी फौजें आमने सामने थीं, साइबर हमले के ज़रिये मुंबई जैसे शहर को कई घंटों के लिए बिजली से महरूम कर देना, हिन्दुस्तान के लिए एक बड़ी वार्निंग है बशर्ते कि मर्कजी हुकूमत उस की जानिब तवज्जा फरमाए। चीन नेइस साइबर हमले के ज़रिये हिन्दुस्तान को खामोश रहने का पैगाम देने की कोशिश की है। अमरीकी रिपोर्ट के मुताबिक पूरे हिन्दुस्तान में बिजली फराहमी की निगरानी करने के लिए एक माल वीयर को कंट्रोल सिस्टम में दाखिल करने की कोशिश की गई । मजकूरा इदारे ने हुकूमत हिंद के वजारत इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फार्मेशन टैक्नालोजी के तहत काम करने वाली हिन्दुस्तानी कम्पयूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम को अपने दरयाफत करदा नताइज भिजवा दिए हैं।
साइबर हमला कोई खाब व खयाल का मफरूजा नहीं बल्कि एक हकीकत है । दौरे जदीद में दुनिया-भर का तकरीबन हर निजाम कम्पयूटर से मुंसलिक है। इसलिए किसी भी मुल्क के हस्सास इन्फिरा स्ट्रक्चर को निशाना बना कर उसे लम्हों के अंदर इसी तरह से मफलूज किया जा सकता है, जिस तरह से बम गिरा कर या टैंकों और तोपों के ज़रिये मुम्किन होता था ।साइबर जंग की खुसूसियत ये कि इस में रिवायती जंगी असलाह की बनिसबत बहुत कम खर्च आता है और फौजियों के जानी नुकसान का अंदेशा भी नहीं होता। दिलचस्प बात ये है कि साइबर हमले के माखज का ताय्युन करके असल हमलावर की तलाश करने में कई हफ्ते लग सकते हैं। असल हमलावर की शनाख्त के बाद ये उस की इन्फिरादी कार्रवाई है या कोई रियासत उस के लिए जिम्मेदार है ये साबित करना बेहद मुश्किल होता है । अकवामे मुत्तहिदा के चार्टर आर्टीकल 2 (4) अपनी इलाकाई सालिमीयत और सियासी ढाँचे की हिफाजत का हक सिर्फ मुसल्लह हमले की सूरत में देता है लिहाजा साइबर हमले के जवाब में दिफा के तौर पर ताकत का इस्तिमाल मुश्किल हो जाता है।
हालिया बरसों में 2009 और 2010 के अंदर स्टिक्स नेट नामी एक माल वीयर ने ईरान के ऐटमी प्रोग्राम को जबरदस्त नुक्सान पहुंचाया था। साइबर माहिरीन उसे अमरीका के तकनीकी तआवुन से किया जाने वाला इसराईली हमला मानते हैं ।ये हमला इस कदर शदीद था कि इस से ईरान में न्यूक्लीयर मेल्ट डाउन का खतरा पैदा हो गया था। अगर ये कामयाब हो जाता तो वो रिएक्टर्स अपने ही मुल्क में ऐटमी बम बन कर फट पड़ते। इसी तरह 2017 मैं रूस के श्पीतिया नामी मेल वीयर ने यूक्रेन में तवानाई के इदारों, रेलवे, सरकारी महकमों, बैंकों और दीगर शोबों के हजारों कम्पयूटरों को निशाना बना कर उनका डैटा जाया कर दिया । इस से मुल्क के बेशतर हिस्से तारीकी में डूब गए थे। इस वक्त यूक्रेन और रूस के दरमयान कई बरस से गैर ऐलानिया जंग जारी थी, जिसमें दस हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे। इन मिसालों की रोशनी में लाल आँखें दिखाने की धमकी देने वाले वजीरे आजम को दिशा रवि जैसी बेजरर दोशीजा के बजाय चीन की जानिब मुतवज्जा होना चाहिए वर्ना कौम को इस मुजरिमाना गफलत की बहुत बड़ी कीमत अदा करनी पड़ेगी।
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