रोकना होगा बुज़ुर्गों पर सन्तानो द्वारा हो रहा अत्याचार*

*रोकना होगा बुज़ुर्गों पर सन्तानो द्वारा हो रहा अत्याचार*

*(शिब्ली रामपुरी)*
कुछ रोज पहले की बात होगी पंजाब से एक मामला सामने आया था. पहले एक वीडियो सामने आया जिसमें एक बहू अपनी 82 साल की बुजुर्ग सास पर मारपीट और अत्याचार करती दिखाई देती है इतना ही नहीं वह इसी जुल्म के सहारे उससे सारे घर का काम भी करवाती है और यह वीडियो घर में से ही किसी बच्चे ने बनाकर वायरल कर दिया. जिसके बाद पुलिस एक्शन में आई और उस महिला और उसकी मां को गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना के बाद से कुछ और मामलों पर गौर किया गया तो सामने आया कि इस तरह के मामले फिलहाल वक्त में काफी बढ़ रहे हैं.जहां पर बुजुर्गों पर जुल्म हो रहा है. ऐसा सिर्फ बहू और सास के मामलों में ही नहीं है बल्कि कई जगह पर तो संताने भी अपने मां-बाप की दुश्मन बन बैठी और उन्होंने अपने मां-बाप के साथ बदसलूकी और मारपीट से लेकर उनका कत्ल तक कर दिया. 20 अगस्त को पानीपत के गांव राजापुर में एक शराबी बेटे ने नशे के लिए मां से पैसे मांगे.मां ने पैसे नहीं दिए तो उसने मां को लोहे की छड़ से इतना पीटा कि मां की मौत हो गई.
अपनी संतान से सुरक्षा के लिए कुछ मां-बाप को तो धरना तक देने को मजबूर होना पड़ जाता है. कई बूढ़ी मां एवं पिता पुलिस अफसरों के चक्कर लगाते रहते हैं कि उन्हें उनके बेटे से बचाया जाए या फिर उन्हें घर में रख कर दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त किया जाए. अब ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं जो इस बात का इशारा करती है कि अब वह संताने काफी कम रह गई है कि जो मां बाप की हमेशा सेवा करने का जज्बा रखती थी. कई ऐसे परिवार हैं कि जिन्होंने अपने बच्चों की शादियां की और यह सोचा कि शादी के बाद बहू घर में आएगी तो घर में और ज्यादा खुशहाली होगी लेकिन अफसोस ऐसा सोचना उनका गलत था शादी होने के बाद बहू द्वारा अत्याचार किया जाने लगा या फिर बेटा भी बहू के साथ हो गया और उसने मां बाप पर अत्याचार करना शुरू कर दिया. रोटी रोटी को तरसा दिया या फिर कई जगह तो ऐसा भी देखने में आया कि बहू बेटे को साथ लेकर चली गई और कहीं दूर दराज जाकर रहने लगे और घर पर बूढ़े माता-पिता ना जाने कितनी तकलीफों में जिंदगी गुजारते. इसका उन्हें अहसास तक नहीं. यहां सवाल यह है कि ऐसी घटनाएं कैसे रुकेंगी? क्या सख्त कानून बनाने भर से ऐसा संभव हो सकता है? वैसे तो केंद्र सरकार द्वारा इस तरह के कानून बनाए गए हैं कि जिससे बुजुर्गों की सहायता की जा सके उन पर हो रहे उत्पीड़न को रोका जा सके लेकिन यहां सवाल यह भी उठता है कि क्या बुजुर्गों तक यह जानकारी पूरी तरह से पहुंच पाती है कि उनके बचाव के लिए भी कोई कानून है. इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर बुजुर्गों को वह कानून की जानकारियां दी जाए जो उनके हित में लाभकारी हैं. इसके अलावा सामाजिक संगठनों द्वारा ऐसा अभियान भी चलाया जाए जिससे संतानों को यह बताया जाए कि जिन्होंने उनको पाल पोस कर इतना बड़ा किया है उन पर अत्याचार करना किसी भी तरह से सही नहीं है कैसे उनका ज़मीर ऐसी घिनौनी बातों को बर्दाश्त करता है. जब इस बात का समुचित प्रचार होगा तो अवश्य ही ऐसी घटनाओं पर काफी सख्ती से लगाम कसी जा सकेगी.

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